वर्धा से मुंबई की वह रेल यात्रा हमेशा याद रहेगी। अपनी बर्थ पर अकेली मैं और अगल बगल ऊपर नीचे की बर्थ पर तभी-तभी डिब्बे में घुसा एक मध्यवित्तीय महाराष्ट्रीयन परिवार। ठीक-ठाक सलवार, कुर्त्ते, चुन्नी वाली युवती मां, पिता, नौ दस वर्ष का बेटा और चार-छह की नन्हीं बेटी। कुछ बहुत आकर्षक या अनूठा जैसा […]









