रीमिक्स! यानी नई बोतल में पुरानी शराब

संगीत साउंड इंजिनियरिंग के लगातार होते जा रहे विकास की कहानी है। जैसे जैसे म्यूजिक के री-प्रॉडक्शन का विज्ञान तरक्की करता गया म्यूजिक का स्वरूप बदलता गया। म्यूजिक के री-प्रॉडक्शन स्तर के हिसाब से रिकॉर्डिंग और मिक्सिंग होती रही। खासतौर पर फिल्मी गीतों में मिक्सिंग और री-मिक्सिंग तभी से होती आ रही है जबसे फिल्मों में गाने चढ़ने लगे है। यानी १९३१ में प्रदर्शित पहली बोलती फिल्म आलमआरा के समय से। गाने तब फिल्म की मैग्नेटिक रील पर भी रिकॉर्ड होते थे और फिर उसके तवादार रिकॉर्ड के लिए भी। तवादार रिकॉर्ड या पत्थर वाली डिस्क यानी वो डिस्क जिसे ७८ आरपीएम, एसपी, ईपी और फिल एलपी के नाम से हम जानते आए हैं। पहले इंस्ट्रमेंटल साउंड पर काम कम होता था और साउंड इंजिनियरिंग की जानकारी और जानकार भी कम ही थे। तो दौर मैलोडी का था, गायकी का था, आवाज का था, रियाज का था, तैयारी का था, शास्त्रीय संगीत के ज्ञान का था क्योंकि शास्त्रीय संगीत ही संगीत का आधार समझा जाता था। फिल्म संगीत भी इससे अलग नहीं था।

रीमिक्सिंग तब अलग तरह की हुआ करती थी। पुरानी बंदिशों, ठुमरियों और लोक गीतों को स्तरीय म्यूजिक अरेंजमेंट्स और कॉन्टेंपररी बीट्स और रीद्मिम पैटर्न के साथ प्ले-बॅक सिंगर्स की आवाज में रिकार्ड कर गाना तैयार कर लिए जाते थे। वास्तव में री-मिक्स्ड पर नाम दिया जाता था इंस्पायर्ड सॉन्ग्स। इंदुबाला की १९२५ की ठुमरी मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रेको नौशाद साहब ने तब के स्तरीय साजों के साथ लता मंगेशकर की आवाज में सजा दिया। यही कहानी मोरे सैयां जी उतरेंगे पारकी है, जो ठुमरी गायकी की जान रही है और बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाएभी  आगरा घराने की मल्का जान का गाया और धुन चढाय़ा हुआ था। इसी धुन को रीमिक्स के अंदाज में पहले आर सी बोराल ने के एल सेहगल की आवाज में रखा और बाद में जगजीत सिंह सहित कई गायकों ने अपने अपने मिक्सिंग टेस्ट के साथ रिकॉर्ड किया।

आज के री-मिक्सिंग के दौर में सब सिमट गया है। रीमिक्स में अब री-रिकॉर्डिंग भी आ जाती है, कवर वर्जन भी और सरेआम कॉपी करते हुए भी कॉपीकैट के टैग से बच निकलना, ये कहते हुए कि पुराना गीत आज के दौर के हिसाब का नहीं है। आज जब पुरानी फिल्मों के री-मेक छाए हुए हैं तो पुराने गीतों के री-मिक्सीकरण में क्या हर्ज। इतिहास खुद को दोहराता है, बस यही बात बॉलिवुड के ओल्ड इज गोल्डवाले दौर को एनकैश करने का नजरिया बन गई, पहले साठ के दशक के चुलबुले नंबरों पर आज के संगीतकारों ने घात लगाई और शमशाद बेगम के सैया दिल में आना रे’, ‘लेके पहला पहला प्यार’, ‘बूझ मेरा क्या नाम रेजैसे गानों को नए आवरण के साथ पेश किया गया। फिर ८०-९० के दशक के सुपरहिट गानों में रैप मिक्स कर उसे नई फिल्मों में परोसे जाने का ट्रेंड बढ़ने लगा। इस ट्रेंड के एकाएक जोर पकड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह है कि फिल्मकार पुराने हिट गीतों के रीमिक्स की बात कर अपनी फिल्मों को शुरुआत से ही चर्चा में ले आते हैं। पुराने गानों को रीमिक्स कर पेश करने से फिल्म मेकर्स का ये भी मानना है कि इससे फिल्म हिट हो जाती है।

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म रईस’, ‘काबिल’, ‘ओके जानूके अलावा कई फिल्में हैं जिनमें पुराने गानों को रीमिक्स के साथ डाला गया है। कुछ रीमिक्स सांग पर गौर करते हैं – करण जोहर की नई फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनियां’  का सांग तम्मा तम्मा१९९० में आई फिल्म थानेदारका है, इस गाने को बप्पी लहरी और अनुराधा पौडवाल ने गया था, हालांकि तब इस गीत पर प्लेजरिज्म का ठप्पा लगा था। फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनियांमें ओरिजनल ट्रैक को ही रखा गया है पार गाने में रफ्तार का रैप मिक्स डाला गया है। फिल्म ओके जानूमें हम्मा हम्मासॉन्ग है जो १९९५ की फिल्म बॉम्बेका है, फिल्म काबिलमें १९८१ की हिट फिल्म यारानाके सारा जमाना हसीनों का दीवानाको रीमिक्स के साथ लिया गया है, जबकि फिल्म रईसमें १९८० की फिल्म कुर्बानी के आइटम नंबर लैला ओ लैलाकी मस्ती है। यो.यो. हनी सिंह ने धीरे-धीरेसे मेरी जिंदगी में आनाको रीमिक्स के साथ जब सिंगल सॉन्ग के रूप में यूट्यूब पर रखा, तो तहलका मच गया। इस गाने के २३ करोड़ से ज्यादा हिटआ चुके हैं,  ये गाना १९९० की मेगा हिट फिल्म आशिकीका है। शाहरुख की ही एक और मूवी डियर जिंदगीमें सदमाके इलियाराजा के बेहतरीन गीत ऐ जिंदगी गले लगा लेको नए अंदाज में पेश किया गया।

ऐसा भी नहीं है कि रीमिक्स हमेशा हिट ही हुए हैं। अभी हाल ही में फिल्म वजह तुम होमें अरिजीत सिंह के गाए किशोर कुमार के १९७३ के गीत पल पल दिल के पासके रीमिक्स को पूरी तरह से नकार दिया गया। इस फिल्म में तीन-तीन रीमिक्स्ड गीत थे, नहीं चले – ऐसे न मुझे तुम देखोभी नहीं। फिल्म फोर्स २में मिस्टर इंडियाके मशहूर गीतकाटे नहीं कटतेका रिमेक पेश तो किया, लेकिन इसे सराहा नहीं गया। फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनियांमें साठ के दशक की चर्चित फिल्म तीसरी कसमका लोक संगीत पर आधारित गीतपिंजड़े वाली मुनिया’  का रिमिक्स वर्जन भी था, पर जमा नहीं। यही नहीं, तुम बिन-२ और रॉक ऑन-२ जैसी फिल्में भी बनी, जो इसी नाम की पुरानी फिल्मों के सीक्वल थीं और उनमें पहली फिल्म के सुपरहिट गीत भी डाले गए, लेकिन वो पहले जैसा जादू पैदा करने में नाकाम रहे।

गाने के री-प्रॉडक्शन को लेकर अभी हमारा कॉपीराइट ऐक्ट कमजोर ही है। ज्यादातर मामलों में संगीतकार अपने राइट्स म्यूजिक कंपनीज को स्थानांतरित कर चुके होते हैं, इससे किसी भी म्यूजिक कंपनी के पास दोनों राइट्स आ जाते हैं, क्योंकि गाने को रिलीज करते हुए मास्टर रिकॉर्डिंग राइट्स उसके पास रहते ही हैं। ऐसे में बिना गीतकार और संगीतकार की अनुमति लिए गाना री-मिक्स्ड कर लिया जाता है। पहले गायकी परवान चढ़ा करती थी और आवाज के जादूगरों और जादूगरनियों का जमाना था। अब घरों और कारों में ऐसे ऐसे म्यूजिक सिस्टम होने लगे हैं, जिनमें गायकी का जादू नहीं रीद्म और बीट्स का जलवा भरा होता है। धिन चक धिन चक का ऐसा चमत्कार कि दिल की धड़कनें कब उससे मिल जाती हैं पता ही नहीं और फिर धिन चक के लिए किसी संगीत ज्ञान की जरूरत भी नहीं होती। इस तरह संगीत को सरल रूप से एक्सेप्ट किया जाने लगा है और यही वजह है कि गुजरे जमाने के जिन गीतों में डांस और रोमांस शबाब पर हुआ करता था आज सभी री-मिक्स्ड के रूप में फिर धूम मचा रहे हैं।

अब कुछ सवाल जो रीमिक्स गीतों पर उछाले जाते रहे हैं – जब फिल्मों में एक नहीं तीन तीन रीमिक्स गाने होने लगे हैं, तो नए गीतकार-संगीतकारों की क्या भूमिका? क्या फिल्म म्यूजिक क्रिएटिव क्राइसिस से जूझ रहा है? सवाल रचनात्मकता का भी है। प्योरिस्ट कहते हैं कि जब सबकुछ बना-बनाया मिल रहा हो तो कोई मेहनत करने की जहमत क्यों उठाए?’ गायकों की नई पीढ़ी के लिए तो रीमिक्स वरदान है। इस पीढ़ी को लताजी, आशाजी, रफी साहब, किशोर दा और मुकेश जी जैसे महान गायकों के गीतों को अपने अंदाज में पेश करने का मौका जो मिल रहा है, नीतो मोहन कहती हैं कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार जिंदगी मेंऔर प्यार मांगा है तुम्ही सेजैसे मशहूर नगमों को कभी उनकी आवाज में सुना जाएगा। रीमिक्स के इस एक्स्पेरिमेंटल दौर ने ये संभव कर दिखाया। पर जैसा कि हर उठती शै के लिए कहा जाता है कि ये भी एक दौर है, जो जल्द गुजर जाएगा। माना यही जा रहा है कि नकल के सहारे अपने काम को हिट कराने का फॉर्मूला ज्यादा दिन तक चल भी नहीं सकता।

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