सृष्टी रचनाकाल से मानव आधि और व्याधि से दुख पाता रहा है । जब शरीर में कफ, वात और पित्त असंतुलित हो जाते हैं, तब शारीरिक रोग हुआ करते हैं । जब मन में चिंता, ग्लानि, व्देष, क्रोध और ईर्ष्या होती है, तब मानसिक रोग हुआ करते हैं । इन्हें मनोकायिक रोग कहा जाता है […]
![योग भगाये रोग | कालनिर्णय लेख](https://www.kalnirnay.com/wp-content/uploads/2017/06/21_June_2017_Yoga-Day.jpg)