टीवी हमेशा की तरह चल रहा था । मैं देख भी रहा था, सुन भी रहा था, नहीं भी सुन रहा था । अचानक एक वाक्यांश कानों से टकराया । लगा जैसे वह कानों में थम गया । जैसे कोई मनपसंद चीज खाने के बाद देर तक उसका स्वाद मुंह में घुलता रहता है न , वैसे […]
![बचपन रखो जेब में | कालनिर्णय लेख](https://www.kalnirnay.com/wp-content/uploads/2017/03/MexicanSunset_FB_Share.jpg)
टीवी हमेशा की तरह चल रहा था । मैं देख भी रहा था, सुन भी रहा था, नहीं भी सुन रहा था । अचानक एक वाक्यांश कानों से टकराया । लगा जैसे वह कानों में थम गया । जैसे कोई मनपसंद चीज खाने के बाद देर तक उसका स्वाद मुंह में घुलता रहता है न , वैसे […]