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पानी पानी रे | पद्मा सिंह | Water and Water | Padma Singh

पानी पानी रे

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै, मोती मानुष चून॥

जल के महत्व को अपने इस दोहे में दर्शाते हुए रहीम कहते हैं कि यदि जल समाप्त हो गया, तो न तो मोती का कोई महत्व है, न मनुष्य का और न चूने का। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी कहा करते थे – यदि हम लोग जल संरक्षण के प्रति गम्भीर नहीं हुए तो तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिये होगा।

हम जल संकट से हम अपरिचित नहीं। विश्व के सभी महाद्वीपों में रहने वाले लगभग २.८ अरब लोग प्रत्येक वर्ष कम-से-कम एक महीने जल संकट से प्रभावित होते हैं। लगभग १.२ अरब से ज्‍यादा लोगों के पास पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है। नीति आयोग के मुताबिक चेन्नई भारत के उन २१ शहरों में से एक है जहां २०२१ तक पानी खत्म हो जाएगा।

राष्ट्रीय एकीकृत जल संसाधन विकास आयोग ने बताया कि बढ़ती आबादी को देखते हुए भारत में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता वर्ष दर वर्ष घटती जा रही है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) की रिपोर्ट पर नजर डाले तो ३० मई २०१९ को देश के ९१ जलाशयों में सिर्फ २० फीसदी पानी ही बचा है जबकि २३ मई को यह २१ प्रतिशत था। पश्चिम और दक्षिण भारत के जलाशयों में पानी पिछले १० वर्षों के औसत से भी नीचे चला गया है। भारत में लगातार दो वर्षों के कमजोर मानसून के कारण भारत के लगभग ५०त्न क्षेत्र सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं, विशेष रूप से पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में जल संकट की गंभीर स्थिति बनी हुई है। नीति आयोग द्वारा २०१८ में जारी समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (Composite Water Management Index) रिपोर्ट के अनुसार, देश के २१ प्रमुख शहर (दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद) और इन शहरों में रहने वाले लगभग दस करोड़ लोग जल संकट की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। भारत की १२त्न जनसंख्या पहले से ही ‘डे जीरो’ की परिस्थितियों में रह रही हैं।

पर केवल आंकड़ों से जूझते रहने से ही समस्या हल नहीं होने वाली। सरकार ने इस दिशा में कुछ कदम उठाये भी हैं, जो काफी हद तक सफल भी हुए हैं। सतत् विकास लक्ष्य ६ के तहत वर्ष २०३० तक सभी लोगों के लिये पानी की उपलब्धता और स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित किया जाना है, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये कृषि गहनता के कारण जल के अत्यधिक प्रयोग को कम करने हेतु कम पानी वाली फसलों के प्रयोग को बढाव़ा दिया जा रहा है, बांधों के माध्यम से जल को संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे ही कई स्तरों पर सरकार ने प्रयास किये हैं। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के सभी घरों को पाइप के द्वारा जल उपलब्ध करवाने के लिए ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की है। यह घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने १५ अगस्त को लाल किले से की।

इस योजना में भूमिगत जल रिचार्ज, जल वर्ष संरक्षण, घरेलू उपयोग में इस्तेमाल किये गये जल का कृषि ने पुनः उपयोग करना भी शामिल है। जल संरक्षण हेतु जन जागरूकता अतिआवश्यक है, क्योंकि भारत जैसे देशों की अपेक्षा कम जल उपलब्धता वाले अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में अभी तक जल संकट की कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई है। महाराष्ट्र को सूखा मुक्त बनाने के उद्देश्य से काम कर रहा एक गैर सरकारी संगठन पानी फाउंडेशन अपने सामाजिक दायित्व का भली भांति निर्वहन कर रहा है। सामाजिक उद्देश्यों पर आधारित टीवी शो ‘सत्यमेव जयते’ को होस्ट कर चुके फिल्म स्‍टार आमिर खान अब पानी फाउंडेशन के जरिये जहां सरकार की मदद करते हुए नजर आ रहें हैं वहीं दूसरी ओर समाज को जागरूक करने भी उनका प्रयास उल्लेखनीय है। पैंतालीस दिनों में महाराष्‍ट्र के सतारा के सूखाग्रस्त वेलू गांव का कायाकल्प कर दिया गया। अब यहां भरपूर पानी है। इसी तरह जलगांव के नागाव-खुर्द गांव में भी पानी का बेहतर प्रबंधन करके इसे भी पानी की कमी से निकाल लिया गया है। बीड़ शहर के दीपे-वाडगांव की भी ठीक ऐसी ही कहानी है। सफलता की ये कहानियां दिखाती हैं कि हमारे देश में पानी की कमी नहीं है—पानी के सही प्रबंधन की कमी है।

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग हमारे समय की सबसे बड़ी जऱूरत है। इसके अलावा परिवार अपने सभी सदस्‍यों को खासतौर पर बच्‍चों को पानी की बचत के बारे में सजग बनाएं। स्‍कूलों में भी पानी की बचत सिखाने पर खासतौर पर जोर दिया जाए। इसी हेतु सम्पूर्ण विश्व में २२ मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भी लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।

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पद्मा सिंह

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