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नये जमाने का रेडियो | सागर नाहर | New Age Radio | Sagar Nahar

नये जमाने का रेडियो

रेडियो एक ऐसा माध्यम है जिसने दुनिया के हर वर्ग के लोगों तक सूचना एवं मनोरंजन पहुंचाने में बहुत सहायता की। तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने भारत में रेडियो की शुरुआत की और २३ जुलाई १९२७ को मुंबई में इण्डियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने देश का पहला प्रसारण केन्द्र खोला। लेकिन तीन ही साल में यह कम्पनी बन्द हो गई। सन १९३५ में अंग्रेज अधिकारी लिओनेल फील्डन को रेडियोके प्रसार के लिए भारत भेजा गया। ८ जून १९३६ को फील्डन की देखरेख में ऑल इंडिया रेडियो का आरंभ हुआ। जैसा कि सभी जानते हैं उस समय रेडियो खरीदने के लिए लाइसेंस लेना होता था।

शुरू से ही जनता ने रेडियो का शानदार स्वागत किया। इसका मुख्य कारण यह भी था कि रेडियो सुनने के लिए श्रोताओं को अलग से समय नहीं देना पड़ता था, वे रेडियो सुनते-सुनते भी अपना काम कर सकते थे। इसे सुनने के लिए अधिक शिक्षित होना आवश्यक नहीं था। कम शिक्षित या अशिक्षित लोग भी रेडियो सुन सकते थे। उस समय वैसे भी साक्षरता बहुत कम थी, तो जो लोग पढ़ नहीं पाते थे वे भी समाचार या अन्य जानकारियां आसानी से समझ जाते थे। किसान खेती की जानकारी प्राप्त कर सकते थे, मौसम, देश-विदेश की बातें आसानी से देश के लोगों तक पहुंच जाती थी। कारखानों में मजदूर से लेकर गृहिणियां और छात्रों से लेकर किसान सभी रेडियो को बहुत पसंद करते थे।

हम जानते हैं कि भारतीय जनता का लगाव संगीत से बहुत ज्यादा होता है और दूसरा क्रिकेट से। दोनों का एकमात्र साधन रेडियो ही था। सन १९३८ से ही  दिग्गज संगीतकार एवं शास्त्रीय संगीत के कलाकार रेडियो पर अपनी प्रस्तुतियां देते थे। क्रिकेट कमेंट्री सुनना और अपने पॉकेट रेडियो पर कमेंट्री सुन रहे राह चलते व्यक्ति को रोक कर उससे स्कोर पूछना रसिकों को बडा भाता था।

स्वतंत्रता के बाद रेडियो की लोकप्रियता बहुत बढ़ती गई लेकिन १९५२ में भारतीय रेडियो की लोकप्रियता को ठेस लगी जब सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री बीवी केसकर ने सिनेमा संगीत पर रोक लगा दी। इस दौरान रेडियो सीलोन ने हिन्दुस्तानी संगीत बजाना शुरू किया। उसी साल ५ दिसंबर को सीलोन के कार्यक्रम निर्देशक हमीद सायानी के अनुज अमीन सायानी को लेकर बिनाका गीतमाला कार्यक्रम शुरू किया जो हिन्दी फिल्मों के गीतों को पायदान के रूप में प्रस्तुत करते थे। यह कार्यक्रम इतना प्रसिद्ध हुआ कि बरसों बरस यह सीलोन पर चलता रहा।

रेडियो सीलोन की कमाई को देखकर आखिरकार केसकर साहब ने भी भारत में एक मनोरंजन रेडियोचैनल की परिकल्‍पना की। प्रसिद्ध गीतकार-कवि पं नरेन्द्र शर्मा की देखरेख में १९५७ में विविध भारती का जन्म हुआ। इन्हीं दिनों ऑल इण्डिया रेडियोको नया नाम मिला आकाशवाणी। भारत में टीवी  के आगमन के बाद लोग रेडियो साथ दूरदर्शन को पसन्द करने लगे लेकिन उन दिनों चौबीसों घंटे टीवी नहीं चलता था इसलिए रेडियोकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई।

तकनीकी प्रगति का प्रतिमान बना एफएम बैंड – जहां श्रोता बिना किसी खलल अपने पसन्दीदा कार्यक्रमों को सुन सकते। इस बीच सरकार ने निजी चैनलों को भी रेडियोप्रसारण की अनुमति दी। रेडियोसिटी, मिर्ची, बिग  एफएम जैसे निजी चैनलों का उदय हुआ तो ऑल इन्डिया रेडियोने एफएम गोल्ड, रेन्बो जैसे चैनल चालू किए।

जब स्‍मार्टफोन मार्केट में आया तो इससे रेडियो की दुनिया भी बदली। आकाशवाणी ने All Radio Live और News on Air दो स्मार्टफोन एप्लीकेशन बनाए। आज ४जी इन्टरनेट के सस्ते होने के कारण यह एप्प बहुत लोकप्रिय हैं। अब तो बस-ट्रेन यात्रा के दौरान भी रेडियो का आनंद लिया जा सकता है। All Radio Live एप्प पर पहले कुछ ही चैनल सुने जा सकते थे। जैसे आंध्र-प्रदेश में में रह रहे श्रोता मराठी कार्यक्रम नहीं सुन पाते थे। अब यह संभव हो गया है। शास्त्रीय संगीत का रसिक श्रोता अपनी इच्छा से अपने समय पर शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम नहीं सुन पाता था। आकाशवाणी ने अपने श्रोताओं की रुचि को ध्यान में लेते हुए एप्प में धीरे धीरे में सुधार किए और नए संस्करणों में धीरे धीरे भारत के ज्यादातर स्टेशन का समावेश करना शुरू किया और उन्नत संस्करण में एफएम गोल्ड, रेन्बो और AIRउर्दू के अलावा AIRगुजराती, मराठी, बांग्ला, पंजाबी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़,मलयालम, ओडिया, आसामी, रेडियो कश्मीर जैसे तमाम भाषाई चैनलों को जोड़ दिया। शास्त्रीय संगीत के रसिक श्रोताओं के लिए रागम जैसे चैनलों को जोड़ दिया। यह एप्प एन्ड्रोइड के अलावा IOS पर भी उपलब्‍ध है। जो लोग ऐसे उन्नत स्मार्टफोन नहीं रखते उन्हें भी आकाशवाणी ने निराश नहीं किया। उनके लिए आकाशवाणी की वेबसाईट http://allindiaradio.gov.in/radio/live.php भी है।

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सागर नाहर

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